भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 168 | Indian Contract Act Section 168

भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-168) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 168 के अनुसार माल पड़ा पाने वाले को माल का परिरक्षण करने और स्वामी का पता लगाने में अपने द्वारा स्वेच्छया उठाए गए कष्ट और व्यय के प्रतिकर के लिए स्वामी पर वाद लाने का कोई अधिकार नहीं है, किन्तु वह उस माल को स्वामी के विरुद्ध तब तक प्रतिधृत रख सकेगा जब तक उसे ऐसा प्रतिकर न मिल जाए, और यदि स्वामी ने खोए माल की वापसी के लिए विनिर्दिष्ट पुरस्कार देने की प्रस्थापना की हो, तो पड़ा पाने वाला ऐसे पुरस्कार के लिए वाद ला सकेगा और माल को तब तक प्रतिधृत रख सकेगा जब तक उसे वह पुरस्कार न मिल जाए, जिसे IC Act Section-168 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 168 (Indian Contract Act Section-168) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 168 IC Act Section-168 के अनुसार माल पड़ा पाने वाले को माल का परिरक्षण करने और स्वामी का पता लगाने में अपने द्वारा स्वेच्छया उठाए गए कष्ट और व्यय के प्रतिकर के लिए स्वामी पर वाद लाने का कोई अधिकार नहीं है, किन्तु वह उस माल को स्वामी के विरुद्ध तब तक प्रतिधृत रख सकेगा जब तक उसे ऐसा प्रतिकर न मिल जाए, और यदि स्वामी ने खोए माल की वापसी के लिए विनिर्दिष्ट पुरस्कार देने की प्रस्थापना की हो, तो पड़ा पाने वाला ऐसे पुरस्कार के लिए वाद ला सकेगा और माल को तब तक प्रतिधृत रख सकेगा जब तक उसे वह पुरस्कार न मिल जाए।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 168 (IC Act Section-168 in Hindi)

माल पड़ा पाने वाले का अधिकार, वह प्रस्थापित विनिर्दिष्ट पुरस्कार के लिए वाद ला सकेगा-

माल पड़ा पाने वाले को माल का परिरक्षण करने और स्वामी का पता लगाने में अपने द्वारा स्वेच्छया उठाए गए कष्ट और व्यय के प्रतिकर के लिए स्वामी पर वाद लाने का कोई अधिकार नहीं है, किन्तु वह उस माल को स्वामी के विरुद्ध तब तक प्रतिधृत रख सकेगा जब तक उसे ऐसा प्रतिकर न मिल जाए, और यदि स्वामी ने खोए माल की वापसी के लिए विनिर्दिष्ट पुरस्कार देने की प्रस्थापना की हो, तो पड़ा पाने वाला ऐसे पुरस्कार के लिए वाद ला सकेगा और माल को तब तक प्रतिधृत रख सकेगा जब तक उसे वह पुरस्कार न मिल जाए।

Indian Contract Act Section-168 (IC Act Section-168 in English)

Right of finder of goods, may sue for specific reward offered-

The finder of goods has no right to sue the owner for compensation for trouble and expense voluntarily incurred by him to preserve the goods and to find out the owner; but he may retain the goods against the owner until he receives such compensation; and, where the owner has offered a specific reward for the return of goods lost, the finder may sue for such reward, and may retain the goods until he receives it.

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 168 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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